कावेरी पुकारे अभियान यह आदर्श स्थापित करेगा कि किस तरह भारत की नदियों को पुनर्जीवित किया जा सकता है।
कावेरी पुकारे अभियान यह आदर्श स्थापित करेगा कि किस तरह भारत की नदियों को पुनर्जीवित किया जा सकता है।
कावेरी में कमी और किसानों के संकट का एक ही स्रोत है – खराब होती मिट्टी।
भारत की लगभग सभी नदियों की तरह कावेरी भी वन पोषित है। पहले यह क्षेत्र जंगलों और वनस्पति से ढंका हुआ था। पशुओं के अपशिष्ट और पौधों के कूड़े से मिट्टी लगातार पोषक तत्वों और जैविक पदार्थों से पोषित होती रहती थी।
जैविक पदार्थ मिट्टी की जल सोखने में मदद करते थे और इस तरह कावेरी में पानी पहुंचता था। मगर जैसे-जैसे लोगों की जनसंख्या बढ़ती है और वनस्पति की संख्या घटती है, मिट्टी को पोषण नहीं मिल पाता। वह जल नहीं सोख पाती, बल्कि उसका कटाव होने लगता है।
मिट्टी अब कावेरी तक जल नहीं पहुंचाती, जो सूखती जा रही है।
सिर्फ एक ही हल
मिट्टी को फिर से उपजाऊ बनाना ही समाधान है। अगर हम मिट्टी में पोषक तत्वों और कार्बन पदार्थ की पूर्ति कर सकें, तो वह एक बार फिर उपजाऊ हो सकती है, बारिश का पानी सोख सकती है और कावेरी तक जल पहुंचा सकती है। यह नदी की पारिस्थितिकी (इकोलॉजी) को पुनजीर्वित करेगी और साथ ही किसान की आर्थिक स्थिति को भी बेहतर बनाएगी।